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मिशलिन इंडिया ने ‘मिशलिन एआई चैलेंज’ के विजेताओं की घोषणा की
· इस चैलेंज के लिये 25 शहरों से 100 से अधिक आवेदन मिले थे
· Kogo.ai, Prophecy और Zangoh.ai इस चैलेंज के विजेता रहे
दुनिया की प्रमुख टायर टेक्नोलॉजी कंपनी मिशलिन ने मिशलिन एआई चैलेंज के विजेताओं की घोषणा कर दी है। यह टायर इंडस्ट्री का पहला एआई चैलेंज था और इसे डीपीआईआईटी (डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड) और स्टार्टअप इंडिया के सहयोग से लॉन्च किया गया था। इस पहल का मकसद भारत के एआई स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करना, नए विचारों और उद्यमिता को बढ़ावा देना और उन्हें दुनिया की बेहतरीन पद्धतियों से परिचित कराना है।
पुरस्कार समारोह का आयोजन आईआईटी दिल्ली में हुआ, जहां कई खास मेहमानों ने अपनी उपस्थिति से इस कार्यक्रम को और भी खास बना दिया। इसमें भारत और भूटान में ईयू प्रतिनिधिमंडल के मंत्री-काउंसलर श्री पेट्रोस सौरमेलिस, फ्रांस दूतावास से सुश्री मैरी खाटेर, जो भारत और दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय आर्थिक विभाग की उपप्रमुख हैं, मिशलिन ग्रुप की चीफ डेटा और एआई ऑफिसर डॉ. अम्बिका राजागोपाल, और मिशलिन इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री शांतनु देशपांडे शामिल थे।
इस कार्यक्रम के दौरान 10 स्टार्टअप्स ने अपने आइडियाज पेश किए, जिनमें से Kogo.ai, Prophecy और Zangoh.ai को उनके अभिनव योगदानों के लिए सम्मानित किया गया। इन स्टार्टअप्स को मिशलिन के साथ महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम करने के अवसर और मेंटरशिप प्राप्त हुई। उनके आइडियाज का गहन मूल्यांकन मिशलिन की एआई डेटा वैज्ञानिकों, बिजनेस लीडर्स, प्रोडक्ट मैनेजर्स और डेवलपर्स की एक अनुभवी टीम ने किया था। मिशलिन और डीपीआईआईटी के बीच पहले ही एक एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। इसके तहत दोनों मिलकर पर्यावरण के अनुकूल इनोवेशन और उद्यमिता को बढ़ावा देंगे और स्टार्टअप्स के लिए अनुकूल माहौल तैयार करेंगे, ताकि नए विचार पनप सकें और स्टार्टअप्स को विकास के सही अवसर मिल सकें।
मिशलिन ग्रुप की चीफ डेटा और एआई ऑफिसर, डॉ. अंबिका राजागोपाल ने इस अवसर पर कहा ‘’मिशलिन एआई स्टार्टअप चैलेंज का उद्देश्य नए और रचनात्मक स्टार्टअप्स को पहचानना और उन्हें सहयोग देना है। इस चैलेंज में एआई एजेंट्स, लैंग्वेज मॉडल (LLM), कंप्यूटर विजन और रोबोटिक्स जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, ताकि उत्पादन में सुधार, उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने, और सड़क व पैदल यात्रियों की सुरक्षा को बेहतर किया जा सके। साथ ही, इसका एक प्रमुख लक्ष्य यह भी है कि एआई का इस्तेमाल जिम्मेदार, पारदर्शी और नैतिक तरीके से कैसे किया जाए, इसका पता लगाया जा सके।‘’ उन्होंने बताया कि लैंग्वेज मॉडल (LLM) और जनरेटिव एआई का इस्तेमाल सिर्फ काम को ऑटोमेट करने के लिए नहीं है, बल्कि हम इन एआई एजेंट्स को समझदारी से जटिल समस्याओं का समाधान ढूंढने की क्षमता भी दे रहे हैं। ये सिस्टम अब संरचित और असंरचित डेटा को एक साथ जोड़कर, ग्राहकों के व्यवहार के पैटर्न का गहराई से विश्लेषण कर सकते हैं। इस तकनीक की मदद से अब हम नवाचार और रचनात्मकता को नए और अनोखे तरीकों से सामने ला सकते हैं, जो पहले कभी संभव नहीं था।‘’
मिशलिन इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री शांतनु देशपांडे ने कहा ‘’मिशलिन भारत के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता दिखा रही है, जिसका एक उदाहरण पुणे में हमारे एआई मुख्यालय की स्थापना है। उन्होंने बताया कि मिशलिन और सरकार के बीच डीपीआईआईटी के साथ एमओयू जैसी पहलों के माध्यम से निरंतर सहयोग बना हुआ है। हमें विश्वास है कि सहयोग की शक्ति से ही हम सबका भला कर सकते हैं, जहां मिशलिन की वैश्विक विशेषज्ञता और मेंटरशिप को सरकार की समर्थन क्षमता और सोच से जोड़ा जाता है। उन्होंने डीपीआईआईटी के मूल्यवान सहयोग के लिए आभार भी व्यक्त किया, जिसने इस एआई चैलेंज को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।‘’
भारत और भूटान में ईयू प्रतिनिधिमंडल के मंत्री-काउंसलर, श्री पेट्रोस सौरमेलिस ने कहा ‘’यह एआई चैलेंज मिशलिन की एक नई और अनूठी पहल है, जिसका मकसद डेटा और एआई की क्षमताओं को मजबूत करना और नवाचार को बढ़ावा देना है। इस प्रोग्राम को देशभर से 200 से अधिक स्टार्टअप्स के आवेदन मिले, जो इस पहल और उसकी थीम्स के प्रति बढ़ती रुचि को दर्शाते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह पहल उद्योग और उद्यमिता में नवाचार को तेज गति से आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगी, जिससे भारत में नई खोजों को बढ़ावा मिलेगा और व्यवसायिक विकास के लिए नए रास्ते खुलेंगे।‘’
फ्रांस दूतावास में भारत और दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय आर्थिक विभाग की उपप्रमुख, सुश्री मैरी खाटेर ने कहा ‘’भारत में मिशलिन की गतिविधियाँ दोनों देशों के बीच डिजिटल तकनीकों में मजबूत साझेदारी को दर्शाती हैं। मिशलिन न केवल दुनिया के प्रमुख टायर निर्माताओं में से एक है, बल्कि नवाचार और शोध एवं विकास में भी उसका गहरा योगदान है, खासकर डिजिटल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उसका प्रभाव काफी मजबूत है। सुश्री खाटेर ने यह भी कहा कि वह उत्सुक हैं यह देखने के लिए कि फ्रांस और भारत की मौजूदा पहलों से दोनों देश किस तरह एक-दूसरे को लाभ पहुंचा सकते हैं।‘’ उन्होंने बताया कि नवाचार के इस सफर में दोनों देश एक-दूसरे की क्षमताओं को पहचानकर अपने द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा बनाएंगे। यह सहयोग विशेष रूप से 2026 में इंडो-फ्रेंच ईयर ऑफ इनोवेशन के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण होगा, जिससे दोनों देशों के बीच नए और क्रांतिकारी विचारों को और आगे बढ़ाया जा सकेगा।
मिशलिन एआई चैलेंज एक 12 हफ्तों की पहल थी, जिसमें कई चरण शामिल थे। सितंबर 2024 तक इस चैलेंज में आवेदन, चयन और मेंटरशिप के चरण पूरे हुए, जिसके बाद ग्रैंड फिनाले में चयनित स्टार्टअप्स ने अपने प्रोजेक्ट्स पेश किए। इस चैलेंज को देशभर से शानदार प्रतिक्रिया मिली, जिसमें 106 स्टार्टअप्स ने भाग लिया। खास बात यह रही कि इनमें से लगभग 60% स्टार्टअप्स टीयर 1 और टीयर 2 शहरों से थे, जिन्होंने एआई पर आधारित विविध और इनोवेटिव समाधान प्रस्तुत किए। इन प्रयासों ने यह दिखा दिया कि भौगोलिक सीमाएँ अब देश की प्रतिभा को रोक नहीं सकतीं।
आईआईटी दिल्ली में आयोजित डेमो डे के दौरान टॉप 10 एआई इनोवेटर्स ने अपने प्रोजेक्ट्स पेश किए। इनमें से तीन विजेता टीमों को मिशलिन ने पेड पायलट प्रोजेक्ट्स का पुरस्कार दिया, और प्रत्येक को 5 लाख रुपये तक की फंडिंग प्रदान की गई। साथ ही, इन विजेताओं को मिशलिन की लीडरशिप टीम से वैश्विक स्तर के अनुबंध और इन्क्यूबेशन सपोर्ट भी मिलेगा, जो उनके प्रोजेक्ट्स को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।
डीपीआईआईटी ने इस चैलेंज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर मैन्युफैक्चरिंग स्टार्टअप्स को आगे बढ़ाने के लिए। विभाग का उद्देश्य स्टार्टअप्स और उद्योगों के बीच की दूरी को कम करना है, ताकि उद्योग-चालित इन्क्यूबेटर प्रोग्राम्स के माध्यम से इनोवेशन को बढ़ावा मिल सके। इस पहल का लक्ष्य मैन्युफैक्चरिंग स्टार्टअप्स को नई तकनीकों और स्थायी व्यावसायिक मॉडलों से सशक्त बनाना है, ताकि वे वैश्विक बाजार में अग्रणी बनकर उभर सकें।